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Harishankar Original 2 Inch Natural Aadbhut Narmadeshwar Shivling With 4 Inch Jaladhari For Home Pooja 74

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Narmadeshwar Shivling

Narmadeshwar Shivling Jaladhari

Narmada Shivling

Narmada Shivling Jaladhari

Narmada Nadi Ka Shivling 

Narmade Har Shivling

Narmadeshwar Shivling For Daily Home Pooja

Original Shivling

Original Narmadeshwar Shivling

Original Narmada Shivling

Shivling With Jaladhari

Shivling With Jaldhara

Shivling With Jalahri

Shivling And Jocha

Shivling And Argha

Shivling

Jaladhari

Shivling With Nandi

Shivling With Naag

Shivling With Trishul

Shivling With Kalash Stand

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Full Set Shivling

Akhand Shivling

Narmadeshwar Shivling

Narmada Shivling

Narmadeshwar Shivling For Daily Home Pooja

Narmadeshwar Shivling With Jaladhari

Narmadeshwar Shivling With Nandi 

Namrdeshwar Shivling With Kalash Stand

Narmadeshwar Shivling With Trishul

Narmadeshwar Shivling With Naag

Original Narmadeshwar Shivling

Original Narmada Shivling

Narmada Nadi Ka Shivling

Narmade Har Shivling

Shivling

Jaladhari

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Jalahri

Nandi 

Naag

Trishul

Kalash Stand














The Narmadeshwar Shiva Lingam is composed of Cryptocrystalline Quartz, Agate, Basalt Chalcedony, 

Iron Oxide of Meteoric origin and Goethite and compared to other stones on Earth, it possesses the highest vibration. 

The stone is high on hardness, measuring 7 on Mohs scale.

Narmadeshwar Shivlings are considered to very auspicious as thet are made naturally in the river bed.

 It is believed that where there is Narmadeshwar Shivling also helps in maintaing the cordial relation between husband and wife. 

Couple who keep Narmedswar Shivling in their home are blessed with Lord shiva 

Narmadeshwar Shivling is found in many colors like brown color, black color, badami color or indigo color.

 Narmadeshwar Shivling is a proven Shivling in itself, which is a natural creation. 

After the carving of the stones that come out of the Narmada, many types of Shapes emerge

It not only creates tranquilly in your home and workplace, but it also emanates positive energy from your very being. 

It is said that the Banalinga is the 

"form of the formless." The Narmadeshwar Shivling claims to be god who do not require any sort of mantras or Prana Pratishtha.

गंगा ,यमुना ,तथा सरजू अदि पावन नदियों के स्नान करने से जो फल मिलता है वह फल नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता हैपुराणों के अनुसार नर्मदा शिव पुत्री होने के कारण नर्मदा को शाग्री भी कहा जाता है जब भगवान भोलेनाथ मेकल पर्वत पर तपस्या में लींन थे तब देवताओ ने उनकी स्तुति करके उन्हें तपस्या से जगाया तो उनके शारीर से पसीने की कुछ बुँदे पर्वत पर गिरी इन्ही बूंदों से एक कुंड का प्रादुर्भाव हुआ.

फिर इस कुंड से एक बारह वर्ष की कन्या उत्पन्न हुई जो सुन्दरता की मूरत थी तथा जिसको देखने पर सुखद अनुभव होता था अत्यंत रूपवती होने के कारण देवताओ ने उसका नाम नर्मदा रखा (नर्म का अर्थ है- सुख और दा का अर्थ है- देने वाली) जिसे नर्मदा नदी के नाम से जानते है| इसका उदगम मेकल पर्वत से होने के कारण इसे मेकल सुता भी कहते है जब यह पर्वतीय क्षेत्र से बहती है.

तब रोव की आवाज करते हुए आगे बढती है इसलिए इसे भक्तजन रेवा भी कहते है नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है यह उत्तर और दक्षिण भारत के बिच एक पारम्परिक शीमा की तरह कार्य करती है यह अपने उद्वागम से पश्चिम की 1,312 किमी चल कर खम्भात की खाड़ी में जाकर मिलती है.

माँ नर्मदा नदी करोडो लोगो की आस्था का प्रतिक है इसे जीवनदायिनी भी कहा गया है नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात की प्रमुख नदी है जिसके किनारों पर 10 हजार तीर्थ स्थल है जहां सभी नदिया पश्चिम से पूर्व की और बहती है और बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है वही नर्मदा नदी एक ऐसी नदी है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती है और अरबसागर में विलीन हो जाती है.

नर्मदा नदी लम्बाई 1,312 किमी है भोगोलिक स्थति के अनुसार देखते हुए नर्मदा लिफ्ट वेली में होने के कारण भी उल्टी दिशा में प्रवाहित होती है पुराणों के अनुसार -नर्मदा नदी के बारे में कहा जाता है कि यह राजा मैखल की पुत्री थीं। नर्मदा के विवाह योग्‍य होने पर मैखल ने उनके विवाह की घोषणा करवाई। साथ ही यह भी कहा कि जो भी व्‍यक्ति गुलाबकावली का पुष्‍प लेकर आएगा.

हम आपको नर्मदा नदी के महत्व के बारे में बतायेगे प्राचीन ग्रंथो जो रेवा नदी का उल्लेख मिलता है वह रेवा नदी और कोई नही नर्मदा ही है जिसे माँ रेवा के नाम से भी जाना जाता है नर्मदा ही एक ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है भक्तजन बड़ी आस्था से माँ नर्मदा की परिक्रमा करते है नर्मदा को पापनाशिनी भी कहा जाता है। नर्मदा शब्द ही मंत्र है और नर्मदा कलियुग में अमृत धारा है। नर्मदा के किनारे तपस्वियों की साधना स्थली भी हैं और इसी कारण इसे तपोमयी भी कहा गया है.

जिसके दर्शन से ही समस्त पापो का नाश हो जाता है नर्मदा नदी का हर कंकर शक्कर के रूप में पूजा जाता है क्युकी नर्मदा नदी ही ऐसी नदी है जिसके तल से निकले शिवरुपी शिवलिंग निकलते है जिसे नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते है नर्मदा से निकले नर्मदेश्वर शिवलिंग साक्षात भोले नाथ स्वरूप होते है जिनकी पूजा करने से अनेक लाभ मिलते है नर्मदेश्वर शिवलिंग स्वयंम्भू होते है.

जिसको प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नही होती है इन्हे नर्मदा से लाकर सीधे स्थापित किया जा सकता है नर्मदेश्वर शिवलिंग अत्यंत पवित्र और पावन होते है जिनसे सकारातमक उर्जा प्रवाहित होती रहती है जो कोई भी नर्मदेश्वर शिवलिंग घर में स्थापित करता है उसको शांति तथा सुख की प्राप्ति होती है घर में नर्मदेश्वर शिवलिंग रखना शुभ माना गया है.

नर्मदेश्वर शिवलिंग केवल नर्मदा नदी से ही निकलते है क्युकी माँ नर्मदा को वरदान प्राप्त है की नर्मदा से निकला हर कंकर शंकर के रूप में पूजा जायेगा पुरानो में कहा गया है की प्राचीन काल में नर्मदा नदी ने जब गंगा नदी के समान होने के लिए निश्चय किया और ब्रह्मा जी की तपस्या करने लगी क्योकि ब्रह्मा जी ही एक ऐसे देवता है जो वरदानो के लिए प्रसिद्ध है|किसी भी देवता या दानव को जब वरदान प्राप्त करना रहता था.

घर में शिवलिंग रखने सम्बन्धित जानकारी

नर्मदा पुराण के अनुसार नर्मदेश्वर शिवलिंग घर में 1 इंच से लगा कर के 6 इंच तक रख सकते हैं अर्थात अंगूठे बराबर से हथेली के बराबर तक का शिवलिंग घर में रखा जा सकता है
इसमें कोई संदेह नहीं है
नर्मदा पुराण के अनुसार नर्मदेश्वर शिवलिंग कुल 9 प्रकार के होते हैं
कालाग्नी
 ईसान
 महाकाल
महामृत्युंजय
स्वयंभू
ओमकार
नीलकंठ
अर्धनारेश्वर और त्रिलोचन

ग्रहस्थ जीवन के लिए सबसे उत्तम अर्धनारेश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग माना गया है अर्धनारेश्वर से तात्पर्य जिसमें आधा भाग शिव जी का निवास करता है और आधा भाग पार्वती जी का निवास करता है
 

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